अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना - सोज़ / जावेद अख़्तर / जगजीत सिंह
अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ अहसान जताने के लिए मत आना
मैंने पलकों पे तमन्नाएँ सजा रखी हैं
दिल में उम्मीद की सौ शम्में जला रखी हैं
ये हसीं शम्में बुझाने के लिए मत आना
प्यार की आग में ज़ंजीरें पिघल सकती हैं
चाहने वालों की तक़दीरें बदल सकती हैं
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना
अब तुम आना जो तुम्हें मुझसे मुहब्बत है कोई
मुझसे मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई
तुम कोई रस्म निभाने के लिए मत आना
---
एल्बम : सोज़
लेखक : जावेद अख़्तर
गायक : जगजीत सिंह
Comments
Post a Comment