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औज़ार पकड़ेंगे – रामचरण ‘राग’

सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है - तहज़ीब हाफ़ी

ये एक बात समझने में रात हो गई है - तहज़ीब हाफ़ी

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता - तहज़ीब हाफ़ी

न नींद और न ख़्वाबों से आँख भरनी है - तहज़ीब हाफ़ी

तू ने क्या क़िंदील जला दी शहज़ादी - तहज़ीब हाफी

इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं - तहज़ीब हाफी

इक तेरा हिज्र दायमी है मुझे - तहज़ीब हाफी

हर एक चेहरे को ज़ख्मों का आईना न कहो - राहत इन्दौरी

तेरी कैद से मै युही रिहा नही हो रहा - तहज़ीब हाफ़ी

तेरा चुप रहना मेरे ज़ेहन में क्या बैठ गया - तहज़ीब हाफ़ी

इंसा को मरे हुए तो, ज़माने गुज़र गए

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा - गुलज़ार

न आने की आहट न जाने की टोह मिलती है - गुलज़ार

खाली कागज़ पे क्या तलाश करते हो? - गुलज़ार

जगजीत सिंह : एक बौछार था वो शख्स - गुलज़ार

अभी न पर्दा गिराओ - गुलज़ार

इक इमारत - गुलज़ार

खुदा - गुलज़ार

देखो, आहिस्ता चलो - गुलज़ार