जब तक सूरज चंदा चमके तब तक ये हिंदुस्तान रहे - कविता तिवारी

हे ईश्वर, मालिक, हे दाता, हे जगत नियंता दीनबंधु ।
हे परमेश्वर प्रभु हे भगवन हे प्रतिपालक हे दयासिंधु ।।
सच्चिदानंद घट घट वासी , हे सुखराशि करूणावतार ।
हे विघ्नहरण मंगलमूर्त, हे शक्तिरूप हे गुणागार ।
सभ्यता यशस्वी हो जाय, मानवता का फैले प्रकाश ।।
सब दिव्य दृष्टि के पोषक हो, कर दो कुदृष्टि का सर्व नाश!!
इतिहास गढ़े जाएँ प्रतिपल, पृष्ठों में अकलंकता रहे!
सज्जनता का अनुशीलन हो, मानव को पथ का पता रहे!!
हर एक बालिका विदुषी हो, हर बालक नीति निधान रहे!
फ़ैराये तिरंगा अंबर तक, माँ का धानी परिधान रहे!!
कविता चाहेगी धरती पर, संस्कृतियों का सम्मान रहे!
जब तक सूरज चंदा चमके, तब तक ये हिंदुस्तान रहे।।

सुपुनीता हो कर मनोवृत्ति, उत्तुंग शिखर स्पर्श करे।
गुण श्रेष्ठ प्रस्फुटित हो इतने, सम्यक हो क्रांति विमर्श करें ।।
उत्फुल्ल रहे हर एक व्यक्ति, पर परम सरलता बनी रहे।
शब्दों की अपनी गरिमा हो, अविराम तरलता बनी रहे ।।
हे त्रिभुवन के पद्धुन नायक, आपदा प्रबन्धन के स्वामी।
हम विनत भाव करबद्ध खड़े हैं, हे सर्वेश्वर अंर्तयामी।।
हे नाथ सनाथ करो सबको,जन जन हो जाय निर्विकार।
विप्लवी घोष विध्वंश मिटे, खोलो सबके हित मोक्ष द्वार ।।
नित नव किसलय विकसित प्रसून, अते स्वर्णिम सुखद विहान रहे।
भ्रमरों का जिस पर झूम झूम, अनुगुंजित मधुरिम गान रहे।।
आरती भारती का उतरे, अर्पित तन मन धन प्राण रहे।
जब तक सूरज चंदा चमके, तब तक ये हिंदुस्तान रहे।। 

सारंग धनुर्धारी भगवन, श्रीराम भुवन भय दूर करो 
हे चक्रपानी कर कृपादृष्टि, छल दम्भ द्वेष को चूर करो 
हे त्रयम्बकेश्वर महादेव, हे नीलकंठ अवतरदानी 
त्रैलोक्यनाथ रोको रोको, बढ़ रही नित्यपद मनमानी 
सम्मोहन मरन वशीकरण, उच्चाटन मंत्र प्रयुक्त दिखे 
जिनके कारण भय व्याप्त हुआ, भयहीन दिखे भयमुक्त दिखे 
अरिहंत तुरंत करो कौतुक, रोको अनर्थ की छाया को 
मन प्राण सन्न सहमे सकुचे, क्या हुआ मनुज की काया को 
अनुरत्ति बढ़े सीमाओं तक, लकिन विरक्ति का ध्यान रहे 
मिट जाये तिम्र अशिक्षा का, भासित शिक्षा का दान रहे 
मानव अर्पित हो राष्ट्र हेतु, पूजित युग युग अभिमान रहे 
जब तक सूरज चंदा चमके तब तक ये हिंदुस्तान रहे. 

कविता तिवारी

Comments

Post a Comment

Popular Posts