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औज़ार पकड़ेंगे – रामचरण ‘राग’

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ज़िक्र-ए-गुल हो ख़ार की बातें करें - जॉन एलिया

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हम रहे पर नहीं रहे आबाद - जॉन एलिया

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भटकता फिर रहा हूँ जुस्तुजू बिन - जॉन एलिया

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हम कहाँ और तुम कहाँ जानाँ - जॉन एलिया

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किसी से अहद-ओ-पैमाँ कर न रहियो - जॉन एलिया

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गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैंने - जॉन एलिया

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तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ ये कैसी तन्हाई है - जॉन एलिया

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गाहे गाहे बस अब यही हो क्या - जॉन एलिया

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नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम - जॉन एलिया

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तुम्हारे नाम तुम्हारे निशाँ से बे-सरोकार - जॉन एलिया

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हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम - जॉन एलिया

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धुँद छाई हुई है झीलों पर - जॉन एलिया

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शायद - जॉन एलिया

सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है - तहज़ीब हाफ़ी

ये एक बात समझने में रात हो गई है - तहज़ीब हाफ़ी

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता - तहज़ीब हाफ़ी

न नींद और न ख़्वाबों से आँख भरनी है - तहज़ीब हाफ़ी

तू ने क्या क़िंदील जला दी शहज़ादी - तहज़ीब हाफी

जब उस की तस्वीर बनाया करता था - तहज़ीब हाफी