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औज़ार पकड़ेंगे – रामचरण ‘राग’

सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है - तहज़ीब हाफ़ी

ये एक बात समझने में रात हो गई है - तहज़ीब हाफ़ी

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता - तहज़ीब हाफ़ी

न नींद और न ख़्वाबों से आँख भरनी है - तहज़ीब हाफ़ी

इक तेरा हिज्र दायमी है मुझे - तहज़ीब हाफी

अजीब ख़्वाब था उस के बदन में काई थी वो इक परी जो मुझे सब्ज़ करने आई थी - तहज़ीब हाफ़ी

चराग़ों को उछाला जा रहा है हवा पर रोब डाला जा रहा है - डॉ. राहत इन्दौरी

रात की धड़कन जब तक जारी रहती है - डॉ. राहत इन्दौरी

अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है, ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है - डॉ. राहत इन्दौरी

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मुन्तज़िर कब से तहय्युर है तेरी तक़रीर का - अहमद फ़राज़

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दिल भी बुझा हो शाम की परछाइयाँ भी हों - अहमद फ़राज़

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पयाम आए हैं उस यार-ए-बेवफ़ा के मुझे - अहमद फ़राज़

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अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएं हम - अहमद फ़राज़

हम देखेंगे - फैज़ अहमद फैज़

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रेत सा मन लिये स्वप्न के द्वार हम - अमन अक्षर

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ये तुम्हारी गली का सरल रास्ता - अमन अक्षर

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हम अचानक अलग हो गये एक दिन - अमन अक्षर

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इक और नई कहानी दुनिया हम दोनों में ढूंढेगी - अमन अक्षर

इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना - डॉ. कुमार विश्‍वास