ये तुम्हारी गली का सरल रास्ता - अमन अक्षर


ये तुम्हारी गली का सरल रास्ता 
हमसे पूछो तो सबसे कठिन राह है

लाख विश्वास हमनें संभाले मगर 
एक संदेह जाते ज़माने लगे 
हमको जीवन के दिन थे बनाने मगर 
हम यहाँ रोज़ रातें कमाने लगे

ख़ुद से कोई वचन जो निभाया नहीं 
इक तुम्हारे वचन का ही निर्वाह है

चंद कदमों की दूरी के इस फेर में
वक़्त ने रोज़ मीलों चलाया हमें 
तुम प्रतीक्षा के वो मौन संवाद थे 
जिसने दुनिया की भाषा बनाया हमें

हम तो यूँ ही निकल आये थे खो गये
मन मगर अपनी मर्ज़ी से गुमराह है

अमन अक्षर

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