हम अचानक अलग हो गये एक दिन - अमन अक्षर


हम  अचानक अलग हो गये एक दिन
इक अधूरी कहानी को बल मिल गया 

हम मिले न किसी और से जिस तरह
अपने  मिलने  के  वैसे  ही  संजोग  हैं 
एक   होने  की  धुन   में  उलझते गये
ये  भी  सोचा न हम दो अलग लोग हैं 

प्यार  को  हमने  ख़ुद में न पगने दिया
प्यार को फिर हमारा बदल मिल गया

आँसुओं   का  यहाँ   छूटना  आँख  से
इक  व्यवस्था  है   कोई न अलगाव है 
एक  मीठे  से   झरने  का  पानी हैं हम
जिसमें  झरना ही  सबसे बड़ा भाव है

हमने   ही  आग  आगे  रखी  प्यास से 
जिसको जलना था उसको ही जल मिल 

हम बरस दो बरस की मोहब्बत में ही,
इक अनोखे से एहसास को पा गए।
हम बिछड़ते समय खूब रोये जहाँ
फूल देखो उसी डाल पर आ गए

हम गलत मानकर छोड़ आये जिन्हें 
वक़्त को उन सवालों का हल मिल गया

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अमन अक्षर





Comments

  1. आंख से निकलती व्यवस्थाएं व्यवस्थित कर, नदी बहाई
    अलगाव की बयारों को अस्थि बना विसर्जन गंगा किया
    मस्तक शिवासीस भी है कोई विश्म्रत हवा की माया नहीं
    तब भी क्यूं झरना लिए विश्मय व करुण रस, न मीरा सा भाव है ?

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