अभी मोहब्बत नयी नयी है - शबीना अदीब

खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में उल्फत नयी नयी है

अभी तक्कलुफ़ है गुफ़तगू में, अभी मोहब्बत नयी नयी है 


अभी न आएगी नीद तुमको, अभी न हमको सुकूँ मिलेगा 

अभी तो धड़केगा दिल जियादा, अभी ये चाहत नयी नयी है 


बहार का आज का पहला दिन है, चलो चमन में टहल के आयें 

फ़ज़ा में खुसबू नयी नयी हैं, गुलों में रंगत नयी नयी है


जो खानदानी रहीश हैं वो, मिज़ाज़ रखते हैं नर्म अपना

तुम्हारा लहज़ा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नयी नयी है


जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा, के आ के बैठे हो पहली सफ में

अभी से उड़ने लगे हवा में, अभी तो शोहरत नयी नयी है 


_ शबीना अदीब

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