हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझसे - मिर्ज़ा ग़ालिब

हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ[1]मुझसे
मेरी रफ़्तार से भागे है बयाबाँ मुझसे

दर्से-उन्वाने-तमाशा[2]बा-तग़ाफ़ुल[3]ख़ुशतर[4]
है निगहे- रिश्ता-ए-शीराज़ा-ए-मिज़गाँ[5]

वहशते-आतिशे-दिल[6]से शबे-तन्हाई [7] में
सूरते-दूद [8]रहा साया गुरेज़ाँ [9] मुझसे

ग़मे-उश्शाक़[10]न हो सादगी आमोज़े-बुताँ[11]
किस क़दर ख़ाना-ए- आईना[12]है वीराँ मुझसे

असरे-आब्ला[13]से है जादा-ए-सहरा-ए-जुनूँ[14]
सूरते-रिश्ता-ए-गोहर[15]है चराग़ाँ मुझसे

बेख़ुदी बिस्तरे-तम्हीदे-फ़राग़त[16]हो जो
पुर है साये की तरह मेरा शस्बिस्ताँ[17]मुझसे

शौक़े-दीदार में गर तू मुझे गर्दन मारे
हो निगह मिस्ले-गुले-शम्मअ परीशाँ मुझसे

बेकसी हाए शबे-हिज्र की वहशत है ये
साया ख़ुरशीदे-क़यामत [18] में है पिन्हाँ मुझसे

गर्दिशे-साग़रे-सद जल्वा-ए-रंगीं तुझसे
आईना दारी-ए-यक दीद-ए-हैराँ [19]मुझसे

निगह-ए-गर्म से इक आग टपकती है ‘असद’
है चराग़ाँ ख़स-ओ-ख़ाशाके-गुलिस्ताँ[20] मुझसे

----
लेखक : मिर्ज़ा ग़ालिब
----
शब्दार्थ :

  1. परिचित
  2. खेल-शीर्षक की शिक्षा
  3. उपेक्षित
  4. हर्षित
  5. बिखरी पलकों को सी देने वाला धागा मुझसे
  6. हृदय की तपिश के डर से
  7. अकेलेपन की रात
  8. धुएँ की तरह
  9. बचता
  10. प्रियवर का दु:ख
  11. प्रिय प्रशिक्षक
  12. दर्पण गृह
  13. छालों के प्रभाव से
  14. जंगल के रास्तों का उन्माद
  15. मोतियों जैसा
  16. अवकाश का उपक्रम
  17. रात्रि-गृह
  18. प्रलय के समय का सूर्य
  19. चकित
  20. उद्यान का कूड़ा-कचरा जलना

Comments