आए कुछ अब्र कुछ शराब आए - फैज़ अहमद फैज़



आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
उसके बाद आए जो अज़ाब आए।

बाम-ए-मीना से माहताब तेरे
दस्त-ए-साकी में आफ़ताब आए।

कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बेहिसाब आए।

हर रग-ए-ख़ूँ में फिर चरागाँ हो
सामने फिर वो फिर बेनक़ाब आए।

‘फ़ैज़’ थी राह सर-बसर मंज़िल
हम जहाँ पहुँचे क़ामयाब आए।

फैज़ अहमद फैज़

अब्र = Cloud
अज़ाब = Agony, Anguish, Pain, Punishment
बाम = Terrace, Rooftop
मीना = Enamel
दस्त = Hands
सर-बसर = Wholly, Entirely

Comments