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Showing posts with the label ग़ज़ल
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ज़िक्र-ए-गुल हो ख़ार की बातें करें - जॉन एलिया

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हम रहे पर नहीं रहे आबाद - जॉन एलिया

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भटकता फिर रहा हूँ जुस्तुजू बिन - जॉन एलिया

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हम कहाँ और तुम कहाँ जानाँ - जॉन एलिया

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किसी से अहद-ओ-पैमाँ कर न रहियो - जॉन एलिया

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गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैंने - जॉन एलिया

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तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ ये कैसी तन्हाई है - जॉन एलिया

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गाहे गाहे बस अब यही हो क्या - जॉन एलिया

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नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम - जॉन एलिया

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तुम्हारे नाम तुम्हारे निशाँ से बे-सरोकार - जॉन एलिया

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हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम - जॉन एलिया

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धुँद छाई हुई है झीलों पर - जॉन एलिया

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शायद - जॉन एलिया

तू ने क्या क़िंदील जला दी शहज़ादी - तहज़ीब हाफी

जब उस की तस्वीर बनाया करता था - तहज़ीब हाफी

चेहरा देखें तेरे होंट और पलकें देखें - तहज़ीब हाफी

कुछ ज़रूरत से कम किया गया है - तहज़ीब हाफी

इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं - तहज़ीब हाफी

इक हवेली हूँ उस का दर भी हूँ - तहज़ीब हाफी

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अब जाके आह करने के आदाब आए है,दुनिया समझ रही है कि हम मुस्कुराए है - ख़ुमार बाराबंकवी