तेरी हरबात मोहब्ब्त में गंवारा करके — डॉ. राहत इन्दौरी



तेरी हरबात मोहब्ब्त में गंवारा करके
दिल के बाजार में बैठे खसारा करके

मुन्तजिर हूं कि सितारों की जरा आंख लगे
चॉद को छत पर बुला लूंगा इशारा करके

आसमानों की तरफ फेंक दिया है मेंने
चंद मिटटी के चिरागों को सितारा करके

में वो दरियां हूं कि हर वूंद भवंर है जिसकी
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके

— डॉ. राहत इन्दौरी

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