रात के सिर लगा घाव है चन्द्रमा - अमन अक्षर


रात के सिर लगा घाव है चन्द्रमा 
घाव सहकर बढ़ा भाव है चन्द्रमा 
वो तुम्हारी कमी से घिरा दुःख है जो 
इक उसी दुःख का दोहराव है चन्द्रमा 

अमन अक्षर 

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