जिसने हमको दूर किया था वो भी अपना प्यार था - अमन अक्षर



मैं अपने हिस्से का जीवन कबसे जीना भूल गया,
अमृत बांटे फिरता था ख़ुद अमृत पीना भूल गया,,
ये  ऐसा वरदान था जिसमें मरना ही  उपहार था..
जिसने हमको दूर किया था वो भी अपना प्यार था..!!

मैंने भी अपने दीपों में बस एक तुम्हारा नूर रखा,
जबकि तुमने मुझको अपने साये से भी दूर रखा,,
जो मुझको रोगी करता था वो तुमको उपचार था..
जिसने हमको दूर किया था वो भी अपना प्यार था..!!

क्या  तस्वीर बनानी थी और क्या तस्वीर बना डाली,
ख़ालीपन भरते-भरते हम रह गये ख़ुद खाली-ख़ाली,,
रंग-बिरंगे  सपनों  का  भी  फ़ीका  सा  व्यवहार  था..
जिसने हमको दूर किया था वो भी अपना प्यार था..!!
 
मैंने  अपना मैं खोया फिर ख़ुद को तुमसे जोड़ दिया,
तुमने अपनी मैं में लेकिन सारा ही सम्बल तोड़ दिया,,
सम्बल   भी   ऐसा   जो  पूरे  रिश्ते  का आधार  था..
जिसने हमको दूर किया था वो भी अपना प्यार था..!!

अमन अक्षर

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