जानकी झुकी नहीं तो राम भी रुके नहीं - अमन अक्षर



युग युगों की प्रीत के हैं सार राम जानकी 
कीजिये बड़ा भला विचार राम जानकी 

योजनों की यात्रा थी राम पर थके नहीं 
लाख बल भी जानकी का मन बदल सके नहीं 
प्रीत का था वृक्ष जिसपे चल के फल पके नहीं 
जानकी झुकी नहीं तो राम भी रुके नहीं 

अमन अक्षर 


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