धूल मिटटी सने अनमने पाँव हैं - अमन अक्षर


धूल मिटटी सने अनमने पाँव हैं 
वैसे कहने को जीता हुआ दांव हैं 
आज फिर रेल रुककर जो देखि लगा 
हम तो शहरों में रहते हुए गाँव हैं 

अमन अक्षर 


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