मंत्रणा कोई भी न सफल हो सकी - अमन अक्षर


मंत्रणा कोई भी न सफल हो सकी 
प्रीत को तो समर में उतरना ही था 
हारना प्रेम में सब अमर कर गया 
जीत जाता प्रणय फिर तो मरना ही था. 

अमन अक्षर 


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