न आदि न अंत है उसका - महाशिवरात्रि स्पेशल



नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय।।
महादेव, जय माँ विन्ध्यवासिनी, ऊँ गणेशायः नमः

ना आदि ना अंत है उसका।
वो सबका, न इनका उनका।
वही शून्य है, वही इकाई।
जिसके भीतर बसा शिवायः।

आँख मूंदकर देख रहा है।
साथ समय के खेल रहा है।
महादेव महाएकाकी।
जिसके लिए जगत है जाकी।

वही शून्य है, वही इकाई।
जिसके भीतर बसा शिवायः।

राम भी उसका, रावण उसका।
जीवन उसका, मरण भी उसका।
तांडव है, और ध्यान भी वो है।
अज्ञानी का ज्ञान भी वो है।

इसको काँटा लगे न कंकर।
रण में रूद्र, घरों में शंकर।
अंत यही सारे विघ्नों का।
इस भोले का वार भयंकर।

वही शून्य है, वही इकाई।
जिसके भीतर बसा शिवायः।

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