ये शाम मस्तानी - आनंद बक्षी / किशोर कुमार / कटी पतंग (1970)

ये शाम मस्तानी
मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे
तेरी और लिए जाए

ये शाम मस्तानी
मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे
तेरी और लिए जाए

दूर रहती है तू
मेरे पास आती नहीं
होठों पे तेरे
कभी प्यास आती नहीं
ऐसा लगे जैसे के तू
हँस के जहर कोई पिए जाए

ये शाम मस्तानी
मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे
तेरी और लिए जाए

बात जब मैं करू
मुझे रोक देती है क्यों
तेरी मीठी नजर
मुझे टोक देती है क्यों
तेरी हया, तेरी शर्म
तेरी कसम मेरे होंठ सिये जाए

ये शाम मस्तानी
मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे
तेरी और लिए जाए

एक रूठी हुई
तकदीर जैसे कोई खामोश ऐसे है तू
तस्वीर जैसे कोई
तेरी नजर बनके जुबां लेकिन
तेरे पैगाम दिए जाए

ये शाम मस्तानी
मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे
तेरी और लिए जाए

ये शाम मस्तानी
मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे
तेरी और लिए जाए

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लेखक / गीतकार :  आनंद बक्षी
गायक / गायिका : किशोर कुमार
फिल्‍म : कटी पतंग (1970)

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