अगर दिलबर की रुसवाई हमें मंजूर हो जाए - आनंद बक्षी / लता मंगेशकर / खिलौना (1970)
अगर दिलबर की रुसवाई हमें मंजूर हो जाए
सनम तू बेवफा के नाम से मशहूर हो जाए
हमें फुरसत नहीं मिलती कभी आँसू बहाने से
कई गम पास आ बैठे तेरे एक दूर जाने से
अगर तू पास आ जाए तो हर गम दूर हो जाए
वफ़ा का वासता दे कर मोहब्बत आज रोती है
ना ऐसे खेल इस दिल से ये नाज़ुक चीज़ होती है
ज़रा सी ठेस लग जाए तो शीशा चूर हो जाए
तेरे रंगीन होठों को कंवल कहने से डरते हैं
तेरी इस बेरूख़ी पे हम ग़ज़ल कहने से डरते हैं
कही ऐसा ना हो तू और भी मग़रूर हो जाए
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लेखक / गीतकार : आनंद बक्षी
गायक / गायिका : लता मंगेशकर
फिल्म / एल्बम : खिलौना (1970)
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