गुनगुना रहे हैं भँवरे, खिल रही हैं कली कली - आनंद बक्षी / मोहम्‍मद रफी, लता मंगेशकर / आराधना (1969)

म: आ..., (गुनगुना रहे हैं भँवरे
खिल रही हैं कली कली  ) - (२)
ल: गली गली
म: कली कली
ल: गुनगुना रही...
mm.. aa..

ल: ज़रा देखो सजन बेईमान भँवरा कैसे मुसकाये
म: हाय कली यूँ शरमाये
घूँघट में जैसे कोई छुप जाये
ल: हाय ज़रा...
म: हाय कली...
ल: ऋतु ऐसी हाए कैसी ये पवन चली गली गली
गुनगुना रही...
म: गली गली
ल: कली कली
म: गुनगुना रही...
mm.. aa..

म: किसी को क्या कहें हम दोनो भी हैं देखो कुछ खोये
ल: खोये हुआ क्या ओए ओए जागे जिया में अरमान सोये
म: सोये किसी को...
ल: खोये हुआ क्या...
म: ऋतु ऐसी हाए कैसी ये पवन चली गली गली
गुनगुना रही...
ल: गली गली
म: कली कली
ल: गुनगुना रही...
आ...

ल: सुनो पास न आओ, कलियों के बहाने प्यार न जताओ
म: जाओ चलो बात न बनाओ
भँवरे के बहाने आँख न लड़ाओ
ल: जाओ सुनो पास...
म: जाओ चलो बात...
ल: ऋतु ऐसी हाए कैसी ये पवन चली गली गली
गुनगुना रही...
म: गुनगुना रही...
ल: गली गली)
म: कली कली) ...

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लेखक / गीतकार : आनंद बक्षी
गायक / गायिका : मोहम्‍मद रफी, लता मंगेशकर
फिल्‍म / एल्‍बम : आराधना (1969)

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