वतन से बढ़के दुनिया में कोई मज़हब नहीं होता - कविता तिवारी


कोई ज़र्रा नहीं ऐसा, जहाँ पे रब नहीं होता 
लड़ाई वो ही करते हैं जिन्हे मतलब नहीं होता 
ओ मंदिर और मस्जिद के लिए दीवानगी वालों 
वतन से बढ़के दुनिया में कोई मज़हब नहीं होता. 

कविता तिवारी

Comments