ठहरी ठहरी सी तबीयत में रवानी आई - इक़बाल अशर

ठहरी ठहरी सी तबीयत में रवानी आई,

आज फिर याद मोहब्बत की कहानी आई,


आज फिर नींद को आँखो से बिछड़ते देखा,

आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई,


मुद्द्तो बाद चला उन पे हमारा जादू,

मुद्द्तो बाद हमे बात बनानी आई,


मुद्द्तो बाद पाशेमान हुआ दरिया हम पर,

मुद्द्तो बाद हमे प्यास छुपानी आई,


मुद्द्तो बाद खुला राज़ हम पर,

मुद्द्तो बाद हमे खाक उड़ानी आई,


इतनी आसानी से मिलती नही दिल की दौलत,

ढाल गयी उमेर तो गाज़लो पे जवानी आई


इक़बाल अशर

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