अभी-अभी एक गीत रचा है तुमको जीते-जीते - डॉ. कुमार विश्वास
अभी-अभी एक गीत रचा है तुमको जीते-जीते !!
अभी-अभी अमृत छलका है अमृत पीते पीते !!
हां अभी-अभी हां अभी-अभी
अभी-अभी सांसो में उतरी है सांसो की माया !!
अभी-अभी होंठों ने जाना अपना और पराया !!
अभी-अभी एहसास हुआ जीवन जीवन होता है !!
खुद को शून्य बनाना ही कितना विराट होता है !!
हां अभी-अभी हां अभी-अभी
अभी-अभी एक गीत रचा है तुमको जीते-जीते !!
अभी-अभी अमृत छलका है अमृत पीते पीते !!
डॉ. कुमार विश्वास
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