तुम से कौन कहेगा आकर - डॉ. कुमार विश्वास
तुम से कौन कहेगा आकर
कितनी रात ढली बिन चंदा, कितने दिन बिन सूरज बीते
कैसे तड़प तड़प कर बिखरे, भरी आंख में सपने रीते ..
कौन पिये और कैसे खाएं, मन को जब जोगी भा जाए
तुम को कौन सिखाए भा कर, तुम से कौन कहेगा आकर
उन घावों की अमर कहानी, जिनके आखर पानी पानी
उन यादों की आप बितायी, जिन की चुनर धानी धानी
तुमको कहां मिलेगा अवसर, कुछ पल रोम रोम में बस कर
हम सा कोई सुनाए गाकर, तुमसे कौन कहेगा आकर
- डॉ. कुमार विश्वास -
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