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कब कहाँ इस बहाने से रोते हैं हम - अमन अक्षर

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ऐसे कामों में थोड़े से पल जाते हैं - अमन अक्षर

सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है - तहज़ीब हाफ़ी

ये एक बात समझने में रात हो गई है - तहज़ीब हाफ़ी

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता - तहज़ीब हाफ़ी

न नींद और न ख़्वाबों से आँख भरनी है - तहज़ीब हाफ़ी

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हम कथा सुनाते राम सकल गुणधाम की - रामायण

तू ने क्या क़िंदील जला दी शहज़ादी - तहज़ीब हाफी

जब उस की तस्वीर बनाया करता था - तहज़ीब हाफी

चेहरा देखें तेरे होंट और पलकें देखें - तहज़ीब हाफी

कुछ ज़रूरत से कम किया गया है - तहज़ीब हाफी